Powered By Blogger

Tuesday, March 3, 2009

MAIN NASHEIN MEIN HOON

नशा शराब में होती तो नाचती बोतल ......./

हम पीते नहीं हम तो जिन्दगी को जीते हैं / अमा यार TRY तो करो एक बार से कुछ नहीं होता / अच्छा -अच्छा तुम थोड़ा कम ही पीना बाकि तो हम लोग हैं ही संभाल लेंगे / लाखों बहाने होते हैं पीने और पिलाने वालों के /

खुशी है तो सेलेब्रेशन में दुखी हैं तो गम में कोई न कोई बहाना तो मिल ही जाता है ऐसे सज्जनों को , ये तो choodiye बात शुरू करने का अंदाज ही निराला होता है /दूर की नहीं अपनी ही बात बताता हूँ साल भर हो गए दोस्त से मिले हुए लेकिन इस मनहूस जन्मदिवस पर फ़ोन आ गया / कहाँ हो भाई साहब एक्को फ़ोन -वोन तो कर लिया करिए जनाब ? हम भी दोस्त हैं आपके (ये बात अलग है अभी दो दिन पहले ही मैंने फ़ोन किया था , पर जाने कैसे भूल गया ) खैर आगे सुनिए - सुना है आपका जन्मदिन है कल / मन में तो आया गाली दूँ या फ़िर कहूं सुन लिए न बस ठीक है / पर जन्मदिन की खुशी में ऐसा कुछ मुंख से निकल नहीं पाता

अच्छा ये बताओ पार्टी -वार्टी दे रहे हो या नहीं ? मैंने पूछा अच्छा बता कैसी पार्टी चाहिए ? मैं समझ तो गया था की भाई साहब कोल्द्द्रिंक की मांग तो अवश्य करेंगे मेरा सोचना और उसका बोलना एक ही साथ हुआ /बोला यार कुछ खिला पिला दो /

बस हो गया बंटाधार जो माया बच रही थी उसकी माया तो देखिये एक ही पल में बिन माया हो जाने का स्वप्न दिखा गई /

और हाँ एक बात तो मैं भूल ही गया आज- कल तो पीने वालों के लिए ऐसे स्लोगन और गाने भी आने लगें हैं जो ये गर्व से गाते और सुनाते हैं जिसे -जब पीओगे कभी जैसे कहते हैं हम तो मिट जांयेंगे सारे दर्द और गम , जब छलकते हैं जाम लेके दिलबर का नाम तो रंगीन होती है हेर एक शाम ..........

अब देखियी पीने में भी एक कला होती है की आप खास ओकेजन पर किसे पियें / दिलबर जो एक शब्द गाने में है कुछ ज्यादा ही lojikal हो जाता दिलबर जो दिल का बार हो अर्थात मम्मी -पापा क्रमशः इजाजत मिले न मिले , ये शब्द तो मिल ही गया है

ये भी शराब की लत लगाने की बड़ी वजह बन सकती है कुछ लोगों को तो मैं जनता भी /

एक और सज्जन के विचार सुनिए ...thooda daru bich pyar मिला दे ......./अगर ये भाई साहब सही हैं तो मैं nishchit ही ग़लत हूँ
kramshah

No comments:

Post a Comment