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Thursday, April 3, 2014

अहंकार बस होता है !

अहंकार बस आकार में होता है गर प्रकृति को हो जाये तो !

अहंकार बनती दीवार में होता है गर जमीन को हो जाये तो !

अहंकार बहते लहू की रफ़्तार मे होता है गर ह्रदय को हो जाये तो !

अहंकार लेखक और लेखनी में होता है गर शब्दों को हो जाये तो !

अहंकार नफरतों के पालनहार में होता है गर प्यार को हो जाये तो !

अहंकार सर्प कि फुफकार में होता है गरल नम्र व्यवहार का हो जाये तो !

अहंकार उठती तलवार में होता है कुंद उसकी धार हो जाये तो !

अहंकार गिरते तेल की धार में होता है गुरुत्वभार को हो जाये तो !

उमेश सिंह
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