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Friday, December 31, 2010

घोटाले में देश......

                                          हम तो बड़बोले हैं भैया ! शब्दों का घोटाला ही हमे आता है पर क्या करें इस घोटाले पर कोई कार्यवाही होती ही नहीं तो हम जरा सा अपसेट हों गए हैं इस वक़्त !
मूंदड़ा घोटाले से लेकर १९८२ के अंतुले प्रकरण तक तो हमारे पूर्वज ही घोटालों के किस्से सुनाकर हमे गौरवान्वित करते थे  पर अब आगे यह विकास प्रक्रिया चलती रहे इसके लिए हमारी पीढ़ी को मेहनत अथक मेहनत करनी होगी ! तब कहीं जाकर अपनी धरोहर को बचा सकेंगे हम ! किसी ने मुझसे कहा की अगर विदेशों में जमा धन हमे मिल जाये तो हमारा देश क़र्ज़ मुक्त हों सकता है पर विचारक के तौर पर ये कहना गलत ना होगा क़र्ज़ मुक्त होने के बाद हम चिंता मुक्त हों जायेंगे और हमारे काम करने की इच्छा मर जाएगी ! समझ नहीं पाए आप अरे भाई काला धन वापस होने का मतलब भ्रस्टाचार पर विजय पाना होगा और हम ये कैसे होने दे सकते हैं ! आखिर पूर्वजों को मुंह दिखाने लायक तो रहे ! २ जी स्पेक्ट्रम , आदर्श सोसाइटी घोटाला और कॉमनवेल्थ एक के बाद एक घोटालों ने से मन प्रसन्न हों गया आखिर हमने चोरी और फिर सीनाजोरी करने की हिम्मत तो दिखाई थी आपको नहीं लगता ये बड़ी बात है ! किसी ने कहा आपने जमीन घोटाला किया था हमने २ जी घोटाला किया अब आपकी सरकार आये तो ३ जी या फिर और कोई कर लेना  तरीका हम नहीं बताएँगे वो आप खुद जानो हम तो बस मुद्दा बनायेंगे ! एक बात और नोट कर लीजिये जनाब दागी को बर्खाश्त करेंगे सजा न्यायालय देगा मतलब सजा देगा कब मत पूछिए देगा भी तो हम न्यायालय को दागी करार देंगे ......! और नहीं तो बर्खाश्त भी नहीं करेंगे जनता समझदार होगी तो चारा घोटाला फिर ना होने देगी, कर्नाटक में घोटाले की सरकार चलती रहेगी !

तो हमने घोटाला किया, आप घोटाला करियेगा !
जनता तो बेवकूफ है, आप उसका दिवाला करियेगा!!
ले-लो घोटाला ले-लो, यहाँ यही दिखता है !
क्योंकि नेता घोटालेबाज हैं, और घोटाले का सच बिकता है !!

Sunday, August 29, 2010

हम ता ऐसनैं हन भैया----------------

काहे का नेता भैया कौनो नेता वाला काम किये हैं का \ इस विचार को सुनकर मैं कभी हैरान नहीं हुआ शायद आप भी नहीं होते होंगे और हों भी क्यूँ \ आज के नेता मल्टीटास्कर जो होते हैं मेरा मतलब सारे काम जो करते हैं A अब आप विश्वास तो करोगे नहीं तो यही जान लीजिये की आप किसी की जान नहीं ले सकते हों वैसे ये भी नहीं लेते हाँ आपकी जान रूह सहित निकलवा जरूर सकते हैं A लो आप भी कमाल करते हों अब मैंने भोपाल गैस कांड तो बोला नहीं था A मैं तो कह रहा था की हमारे नेता आप मानो या ना मानो ये होते बड़े सज्जन हैं अब मैंने तो कहा नहीं की ये विधानसभा या संसद में चप्पलों से बातें करते हैं और औरतों के सम्मिलित होने की बात ना जी ना इ इल्जाम ना लगाईये A आप लोग ऐसे गलत मतलब निकालोगे तो तो काम हो चुका A किसी भी खेल में या भारतीय रेल में हमारे नेताओं का नो इन्वोल्व्मेंट लो कर लो बात साफ सुथरा भी तो खेलना होता है A कोई दोष बता दो आप इनका या कोई दोष लगा ही दो और लगा भी दिया तो  प्रूव करके दिखा दो लेखनी की कसम जिन्दगी भर गुलाम रहूँगा आपका A अरे जाओ साहब इतना चैलेन्ज नेताओं से किये होते तो करियर बना देते हमारा लेखनी खुद ना रहती हाथ में हमारे A खुद खुश हो जाते हम भैया A नयी दरियादिली के बारे में आप ना जानते हों तो हमरा कौन सा दोष A यहाँ भुखमरी पड़ने पर हम भूखे रह लेंगे अनाज गोदाम में सड़े तो सडा देंगे पर मजाल है की हम किसी बाहरी व्यक्ति या पशु या फिर दानव को भूखा सोने दें फिर चाहे पलट कर वो हमारी थाली ही क्यूँ ना छीन ले A   

भूखें मरे किसान हमारे नेता महान जय हनुमान --------------------

Tuesday, July 27, 2010

माथापच्ची..........

                                                          विचारोभिव्यक्ति की द्वंद्ता में जीने की कला ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है! मैं ऐसा इसलिए मानता हूँ की हर इंसान में वह अकेलापन या वह हमराही जरूर होता है जो उसे प्रत्येक पल आगे बढ़ने को कहता है ! रोज उसकी दिनचर्या शुरू होती है और शाम तक या किसी पहर वह सोचता है काश कुछ अच्छा किया होता तो कुछ अच्छा होता ! योगी से लेकर एक साधारण मनुष्य या फिर एक भिक्छ्क सबके मन में अपूर्णता जरूर होती है ! योगी इश्वर को पाने की व्यर्थ चेष्टा में अपना समय नष्ट करते हैं साधारण मनुष्य जरूरतों में तो भिक्छ्क एक वक़्त की रोटी की मुवस्वरता के लिए दर्जनों के आगे हाथ फैलाता है! क्या उन्हें ये सब करना अच्छा लगता होगा हो सकता है पर उनके मन में कुछ भावनाएं ऐसी भी होंगी जो कभी मरी ही ना हो या फिर उन्हें पूरा ना कर पाने की हताशा में वो ये कर रहे हैं ! योगियों से मुझे विशेष हमदर्दी है वे जो ये खुद कहते हैं की प्रत्येक मनुष्य के अंतर्मन में इश्वर होता है खुद ही नहीं समझ पते हैं ! इसीलिए मैं पूरे तन-मन से हिन्दुस्तानी होते हुए भी विदेशी मन का हूँ .....((दीगर बात ये है की यहाँ  के संस्कृति या सभ्यता की बात मैंने नहीं की है ....( वो हमारे यहाँ से बेहतर ना कहीं है ना कहीं होगी ) )) कभी गया तो नहीं हूँ पर इतना विचार है की वहाँ योगी नहीं भोगी होते हैं ! यह अटल सत्य है की सब कुछ त्याग कर कुछ पाया नही जा सकता है ! पता नहीं पर त्यागी लोग मुझे तिरस्कृत लगते हैं लोग उनकी बातें सुनते तो हैं पर त्याग से नहीं !
                                                   उनका अनुसरण वैसे लोग ही करते हैं जो अपूर्ण होते हैं पर पूर्णता का ढोंग करते हैं ! सब कुछ बोलकर ना बोलने की कला मुझको नहीं आती मैं इशारा तो नहीं कर सकता पर समझा सकता हूँ ! क्या लोग यह मान लेंगे की मैं पागल हूँ जबकि एक दिन पहले ही मैं सामान्य था शायद इस लेख को पढ़ कर मान लें ! अपनी समस्त कला का प्रदर्शन करके एक कलाकार ये नहीं कह सकता की मैं तो अभी सीख रहा हूँ पर कहता है क्यों ? सबकुछ बोलकर कोई ये नहीं कह सकता की मैं गूंगा हूँ या मुझे कुछ आता ही नहीं मेरे एक मित्र को यही दिक्कत है सवाल भी है जवाब भी है पर असंतुष्ट है क्या ऐसे में हर वह व्यक्ति जो उसके सवालों का जवाब दे उसको पूर्ण मानना चाहिए या फिर हममे से किसी ने भी वैसा महसूस किया है या कभी उसकी तरह से सोचा है ! ''स्पष्ट सोच होना वास्तविक मायने में तो असंभव है अगर स्पष्ट या पूर्ण सोच हो जाये तो शायद साम्य की वह स्थिति होती जो सब कुछ शांत कर देती है'' फिर उसके आगे कुछ होने के लिए उत्प्रेरक का इस्तेमाल करना पड़ता है और फिर वही दुनिया जिसको पीछे छोड़ कर आये थे ग़ालिब ! एक लेख लिखने के बाद मुझे एहसास हुआ की इंसान कितना स्वार्थी होता है वो अपना दुःख बांटकर हमदर्द इकठ्ठा करता है ! इन लाइनों से मुझे सीख मिली '' ना रहो निराश ना करो मन को '' ऐसा होना भी चाहिए पर क्या यह विचार उसके मन में आया होगा जो कभी निराश ही ना हुआ है ? मुझे वह स्वर्ग नहीं चाहिए जिसमे दुःख के लिए जगह ना हो वरना मैं सुख मे दुख या दुःख में सुख के लिए तरस जाऊंगा !

                                           अब मुझे समझ नहीं आ रहा है की इस लेख को कैसे समाप्त करूँ अधुरा लेख है फिर भी पूर्णता को लिए है ! समझने को बहुत कुछ है पर समझाने को कुछ नहीं ! हमारी यह विफलता है की हम जैसा सोचते है या मैं जैसा सोचता हूँ वैसा कर नहीं पता ! इसी संसय को हमे छोड़ना होगा ..........क्योंकि दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम ........ तो माया को तो बस में करना असंभव है क्योंकि वो बहुजन की है अतः राम नाम जपना और.........
                                          अपने इन्द्रियों के कौशल का परिचय देते हुए लेख समाप्त कर रहा हूँ और सुझाव दे रहा हूँ ''करो भोग जीतो योग '' तो अब माथापच्ची

Wednesday, June 9, 2010

हम और हमारा न्यायतंत्र...

 क्या आपको अपने न्याय तंत्र पर भरोसा है ? 


ये एक ऐसा सवाल है जो आज किसी भी भारतीय से पूछा जाये तो उसका जवाब ना के बराबर हाँ होगा मतलब अगर वो हाँ भी कहे तो उसका मतलब ना ही समझ लेना चाहिए ! और ऐसा इसलिए नहीं की वाकई में हमारी न्याय व्यवस्था में गड़बड़ी है बल्कि ऐसा इसलिए है क्योकि हमारे राजनेताओं, और समाज के उन ठेकेदारों की नाजायज़ पहुँच काफी बढ़ गयी है जो गुनाहगारों को बचाने का ठेका ले लेते हैं ! अब तक रिकार्ड को देखा जाये तो यही पता चलता है अगर सही फैसला आ भी जाता है तो जमानत हो जाती है यानि अपराधी को फिर से अपने बचाव पक्छ को मजबूत करने का मौका दे दिया जाता है! कसाब को फाँसी हो या ना हो कोई फर्क नहीं पड़ता है पर उस आतंकवादी का ये वक्तव्य मायने रखता है जिसमे उसने कहा की मैं चुनाव लड़ना चाहता हूँ ... क्या ये समझने के लिए काफी नहीं है की हम अगर नेता हुए तो बेदाग़ हुए मियाँ फिर काहे के आतंकवादी ! अभी दो दिन पहले ही जिस तरह से भोपाल गैस के पीड़ितों को न्याय मिला है  उससे तो पता चल ही गया की 
ना बीबी ना बच्चा.... द होल थिंग इस दैट की सबसे बड़ा ........


अब न्याय की आस में आँखें पथरा जायें तो भी क्या गम न्याय मिला पर सिर्फ दो साल या कहें जिन्दगी गुजार दी जिस सनम की चाह में वो आये देर, दुरुस्त भी पर सिर्फ ये पूछने  जिन्दा हो अभी मैं तो कब्र पर आया था 

Friday, April 9, 2010

खिचड़ी मिक्स

                                        आज मस्ती के मूड में हैं हम तो सोचा की कुछ लिख लिया जाये पर ऐसा कुछ बढ़िया दिमाग में आ नहीं रहा है | आई पी एल की धूम हो रही है मैंने भी सोचा एक टीम का ओनर बन जाऊं पर क्या कर सकते हैं धनाड्य लोगों के इस खेल में गरीबों की गिनती केवल उस वक़्त होगी जब चैरिटी का खेल होगा | खैर जैसे तैसे जुगाड़ लगा के एक टीम का मेम्बर  ही बन गया | भला हो मोदी साहब का मालिक न सही मेम्बर ही सही कुछ बना तो दिया | अब क्या करता कुछ आता जाता तो था नहीं सो थोड़ा और जुगाड़ लगाया अब मैं भोजपुरिया इलेवन का ओनर हूँ | रौवा ई न समझें की भोजपुरिया इलेवन प्रदर्शन करै मा पीछे रही ना बिलकुल ना हम तो बस औरन के सम्मान मा हार सकते हैं वरना तो हम भी जीतना जानते हैं | अब आप ही देख लो राज ठाकरे साहब के सम्मान में ही तो हम हमेशा चुप रहे वरना क्या हम पिस्टल ले के घुमे नहीं पूरे मुंबई में वो तो आतंकवादी समझ के मार दिए गए और पुलिस ने भी साथ नहीं दिया था | हम कहाँ कमजोर हुए पुलिस या फिर राज को कहिये या फिर महाराष्ट्र को कहिये एक ही पिस्टल से डर गए हिंदी तो पूरे भारत की है | खैर ये तो टीम की बात नहीं है अगर मेरी टीम से सचिन नहीं खेलेंगे  तो क्या हुआ उनका सम्मान थोड़ी ना कम होगा वो तो उनकी महानता है की वो मेरी टीम के खिलाड़ियों को हमेशा कुछ सिखा देते है बता देते हैं.... और ये भी बोल देते हैं किसी को भी टीम में ले लो पर आंग्ल भाषा का ज्ञान तो होना ही चाहिए हिंदी तो बोल नहीं सकते ना राज की बात है केवल हिंदी में ही लोगों को दिक्कत है | अगर लगातार हारते तो भी सम्मान बचाने तो उतरते ही या नेताओं के तरह बोल देते अगली टीम बेमानी कर रही है जैसे अभी कहा था सरकारी समिति बनेगी और नक्सली हमले की तह तक जायेंगे | खैर हमारी टीम मैदान में उतरी मैदान पर इतनी गलती हुई की क्या कहें पहली की हमने विदेशी कोच नहीं किया दूसरी चीएर लीडर्स भी नहीं थी तो टीम के खिलाडी बौन्डरी पर ही लगे रहे चौके तो एक नहीं गए ................... इतने गए की हिसाब नहीं लगा | इधर तो एक रन बन रहे थे उधर नेताओं की तरह खिलाड़ी भी एक दूसरे पर दोष मढ़ते रहे कहे लगे की एकरा के संगे हम ना खेलब इ टीम जीती ना जीती हमरा के फिकर नइखे | हम पूछे का हुआ का तो बोले की रवि किशन का ना बुला सकेला एकरा खातिर खेले में मन ना लागेला | हम भी खूब बढ़िया उदाहरण सोच रखे थे बोल दिया दादा को देखो बिना किसी सुर और तान के नगमे गए जा रहे हैं चौके लगाये जा रहे हैं | एक बारगी दिमाग में आया था की हॉकी  टीम ले लूं पर गिल साहब ने सही कहा आइ पी एल से हुए लाभार्जन से अन्य खेलों का विकास होना चाहिए तो मैंने भी सोचा पहले लाभार्जित हो जाएँ तब आगे की सोचें | 
                                  अब और दिमाग काम नहीं कर रहा है आइ पी एल ४ में मिलूँगा तब तक टीम में चेएर लीडर्स की व्यवस्था कर लूं खिलाडियों का मन लगेगा समझा करो मैदान में नहीं रिजर्व बेंच से ही आइ पी एल का मजा ले सकेंगे टीम भी जीतेगी |
                                       

Tuesday, March 16, 2010

आरक्षण दे दो.........

"जब भी आप आरक्षित होते हो तो ये भी समझ लो की दुनिया ने आप को एक सबक सीखने से वंचित कर दिया है ...अगर आप में वो सामर्थ्य है जो आप को विशेष बनता है तो फिर आरक्षण क्यों ? अगर एक के पैर में जंजीर बांध कर उसे आरक्षित रेस में दौड़ाया जाये तो प्रतिस्पर्धा कहाँ बची साहब फिनिशिंग लाइन के पहले ही उसे रोकने का जब पूरा प्रबंध करके आप रेस करा रहे हैं तो फिक्स मैच हुआ न .....अगर आप में हिम्मत है, जीतने का जज्बा है तो फिर खुले मैदान में आने से क्यों घबराते हो आप ? आज के इस प्रतिस्पर्धी समाज में जीने के लिए लड़ना जरूरी हो चला है पर यहाँ तो जरूरतों को ही आरक्षित किया जा रहा है" इस तरह न समाज की उन्नति होगी न ही यहाँ के लोगों की






अंत में बस इतना ही कहना है आरक्षण दे दो मेरे ब्लॉग को 

Monday, March 8, 2010

विरोध करना है...

लोकसभा हो या विधानसभा हम तो तब तक यूँ ही विरोध करेंगे जब तक हम सत्ता में न आ जाएं मुद्दा चाहे जो भी हो बस विरोध करना है / पब्लिक को हम ही लूटेंगे तुम कैसे लूट सकते हो अमा यार समझने की भी हद होती है / जो हमारी भावनाओं को न समझे उसका तो बेड़ा पार है समझ लो भैया हमें जनता ने नहीं भेजा तो क्या  हुआ हम फिर भी उनके प्रतिनिधि ही हैं / हह ऐसे विचारों से परे भी कोई नेता  काम करता है ये मुझे आज तक नहीं दिखाई दिया हाँ अगर अपने राहुल गाँधी की बात हो तो थोड़ा मान लेते हैं पर उसमे भी शक है अपने मान्य नेताओं को ...... इन नेताओं की विचारधारा यूँ है की हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे या फिर कहें की  न कुछ करेंगे न ही कुछ करने देंगे तुम बैठ के हमे देखो हम तो लूटने का उपाय ही देखते हैं / आज की खबर में सबसे ऊपर ही लोगों को मिलेगा की हमारे नेता कैसे हमारी आपकी बात विधानसभा या लोकसभा में रखते हैं / बिल फाड़ कर या संसद की मर्यादा का अपमान करके या फिर सिर्फ टेलीविज़न पर हमे और आपको ये दिखाने के लिए की हम ही आपके वो नेता हैं जो आप के लिए इतना कुछ कर रहे हैं और फंला - फंला  हमारी पार्टी है/
 अगले सत्र में भारी मतों से  हमे ही जितायें.....
 अब तक इन्होने लुटा अब अपना धन हमे लुट्वाएं.....

वह क्या विचार हैं काम धेले का नहीं करेंगे बस विरोध करेंगे सिर्फ विरोध करेंगे वो भी इतने निम्न स्तर से की आप भी सोच सको की क्या हो गया है इन बागड़बिल्लों  को कैसे लड़ रहे हैं पूरे विश्व के सामने ये हमारे नेता नहीं हो सकते/ आखिर ये हमारे नेता क्यों बने भाई  ?  क्या इनमे से एक भी ऐसे हैं जो संयमित जवाब दे सकने में सक्षम हैं / दो तीन का नाम याद आने के बाद मुझे तो नहीं याद आता है आप भी सोचिये जो आप की बात को समझते हो भैया नहीं तो गला फाड़ के चिल्लाओगे और धेला नहीं पाओगे ................

ये मेरे विरोध करने का तरीका है आप भी विरोध करें कैसे भी क्योंकि विरोध करना है ............................

Sunday, January 31, 2010

गाँधी जी ने कहा था............

एक गलती कभी भी सच्चाई का स्थान नहीं ले सकती
चाहे उसका कितना भी प्रचार क्यों न किया गया हो .......................................................

Saturday, January 30, 2010

गांधी जी ने कहा था......?

माफ़ी देना कमजोर इंसान के बूते की बात ही नहीं है, केवल ताकतवर व्यक्ति ही माफ़ी देने का साहस कर सकता है ...................................................

Tuesday, January 5, 2010

बर्फ का टुकड़ा...... |


अभी तक मैं ठोस था मेरी सीमाएं स्पष्ट थी स्थान निर्दिष्ट था

अब मैं पिघल रहा हूँ अनायास घुल रहा हूँ तरल बन रहा हूँ

नीचे...
नीचे...
नीचे...

कहीं तो ठहर जाऊंगा किसी गड्ढे में अपनी परिधि प् जाऊंगा

अंजुली भर मुझे उठाने की चेष्टा न करना

ऊँचाइयों से अब घबराता हूँ .........

V.P.Singh

Sunday, January 3, 2010

हम बदले तो सिर्फ हम ही बदल सकते हैं ...... और लोग नहीं |

ये लो नया साल आ गया......मैं ये बात इसलिए कह रहा हूँ ताकि आप ये सोच सकें की क्या खास बात है इस नए साल में ॥ तो मैं आपको बताना चाहता हूँ की कुछ खास नहीं है इस नए साल पर हम लोग इस साल को कुछ खास बना सकते हैं बल्कि हमें बनाना चाहिए .............कैसे ये सवाल लाजमी है तो सबसे पहले आप ये जान लें की क्या कर सकते आप इस नए साल में
हम और आप मिलकर एक काम करें की ये याद रखें की हम जहां रहते हैं जिस परिवेश में वो अपने घर की तरह ही होता है तो हमे उसे स्वछ रखना चाहिए
दूसरी बात ये भी जान लें की हम बदले तो ही आगे के लोग बदल सकते हैं .....................ये नहीं की अरे सिर्फ मेरे बदलने से क्या होगा ये सोच ही घातक होती है .......ये सोच कर हम अगले को मौका दे देते हैं की वो कह सके की क्या हुआ तुम जो बदलाव की बात कर रहे थे खोखली ही रह गयी naa
ab ये baatein sab लोग jaane तो behtar होगा की हम badlenge to सिर्फ हम ही badlenge ............ kisi और को बदलने के liye अपने starr से prayaas karna होगा
kramshah......