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Friday, December 18, 2009

क्या मिलेगा बंटवारे से....?

अभी इतनी भी क्या जल्दी है उत्तर प्रदेश को बांटने की ? किसी ने लिखित रूप में सलाह दी या फिर अपनी साध को पूरी करने की जिद है, क्या बंटवारा इतना आसन होता है ? समझ में नहीं आ रहा है /
मैं न तो राजनीति विश्लेषक हूँ न ही बंटवारे का पक्षधर मैं सिर्फ भारत का वह नागरिक हूँ जो सिर्फ ये जानना चाहता है की क्यों इस तरह के बिना सर -पैर वाले बयान दिए जाते हैं ? क्या बंटवारे से किसी खास को फायदा होने वाला है या फिर ये वो तुच्क्ष राजनीति है जिसके बारे में कहा जाता है की सिर्फ अपना फायदा देखना ही अक्लमंदी है अगर ऐसा है तो फिर जनसेवा का ढोंग क्यों किया जाता है ? विकास की बात तो सुनाने को रह गयीं है बस / हरित प्रदेश बनाने के लिए क्या आवश्यकताएं होंगी वो मुझे आपको क्या मालूम पर इतना तो पता है की अगर पैसा विकास पर ही लगाया जाये तो बांटने की नौबत ही न आये /
अभी जो चल रहा है उससे केवल और केवल विकास में बाधा उत्पन्न होगी / ये सुनने में ही बेढंगा लगता है की आपके प्रदेश का मुखिया जिस पर परिवार को संयुक्त रखने की जिम्मेदारी होती है, ही आपको बांटने पर अमादा है /
आप सीधा -सीधा समझे अगर एक परिवार में दस लोग कमाने वाले हैं और वो अपनी खुशियाँ और दुःख आपस में बाँटते हैं तो वो एक खुशहाल परिवार होगा पर अगर वो बंटवारा कर लेते है तो क्या वो उतने खुश रह सकेंगे ............. नहीं ये बात स्पष्ट है की वो उतने खुश नहीं रहेंगे /
अगर एक के पास भी आर्थिक दिक्कतें होंगी तो वह कर्ज में हो सकता है पर संयुक्त होते तो उसे बाहर से मदद न लेनी पड़ती ।
एक परिवार को बनाने में क्या होता है वो क्या जाने जिनके परिवार ही नहीं होता .......जिस भारत को अखंड कहा जाता है उसके खंड - खंड करके क्या मिलने वाला है ? जिस भारत के छोटे - छोटे प्रान्तों को मिलकर राज्य और राज्यों को मिलाकर अखंड भारत का निर्माण किया गया उसका ये हाल करने को अमादा है ये कथित बुद्धजीवी वर्ग / तरस आता है ऐसे विचारकों पर जिनमे विचारों की इतनी कमी है... और जिनके ऐसे विचार हों वो देश का प्रतिनिधित्व करने की बात करें तो हंसी आती है इस देश के भाग्य पर /
सुप्रीम कोर्ट का वो वक्तव्य मुझे आज भी याद है की इस देश का तो भगवान् भी भला नहीं कर सकता... अगर देश को नेतृत्व देने वालों का बांटो और राज करो का ही रवैया रहा तो ये बात सही ही होगी /
खैर ये बात ज्यादा न बढ़ाते हुए सिर्फ इतनी गुजारिश करूंगा की प्रदेश को बांटने न दीजिये प्रदेशवासियों के सब्र चुनौती देना भारी हो सकता है...........

Monday, November 9, 2009

राज का राज......... हिन्दी राज

जो हिन्दी लिखना पढ़ना जानते हो वो कृपया कल तक अपनी सीट उत्तर प्रदेश के लिए बुक करा लें /
राज ठाकरे जी माफ़ी चाहता हूँ वो इसलिए की मैं हिन्दी बोलना भी जानता हूँ और आपसे ये जानना चाहता हूँ की आप हिन्दुस्तानी पैदा हुए थे मराठी या फ़िर आप को अपनी मात्रभूमि पर संदेह है /
गद्दार लोगों को भारत से निकल कर बड़ी गलती हुई कम से कम वो होते तो भारत में एक ही भाषा होती /
खैर मैं इस बारे में बात करने को नही लिख रहा हूँ मैं ये जानना चाह रहा हूँ या फ़िर कोशिश कर रहा हूँ की भारत देश कितना सहनशील हो गया है माफ़ करिए उत्तर वासियों का देश , दक्षिण का देश ,पश्चिम का हह.....
या फ़िर हम सब भारत वासियों का देश क्या लिखा जाए मुझे सरकार के ढीले रवैये से संदेह होने लगा है /

आज जिस तरह से हिन्दी भाषा पर जूता चला है वो दिन दूर कहाँ रह जाएगा जब बाहर के लोग आकर जूता चला जायेंगे /
theek से याद नही आ रहा है की राज ठकरे जैसे देश द्रोहिओं को कोई सज़ा देने में इतनी ढिलाई क्यों हो रही है जिन लोगों को अज ४ सालके लिए baahar किया गया है उन्हें क्यों नही जीवन भर के लिए किसी भी संवैधानिक प्रक्रिया में भाग लेने se mana कर देना चाहिए /......................................

आगे...

Tuesday, April 7, 2009


अब आगे की कहानी...


दारू पीने वाले लोग अपना तो सत्यानाश करते ही हैं साथ में आस पास के माहोल को भी गन्दा करते हैं / घर से पैसा लेते हैं पढ़के कुछ बनके तब मौज उड़ने की तर्ज़ पे ;;,,, चाहे बाप क्यों हो क़र्ज़ पे ,,,;;


पर करें भी क्या यहाँ आते ही मॉडल शॉप दिख जाती है इसमे बेचारून की गलती कहाँ दे दें // हर बाए संकल्प लेके उसको तोड़ने की आदती बन चली है युवा पीढी /


पीना जायज है या नहीं है मैं नहीं जानता पर दिखावे के लिए ये सब, पी के गाली देने के लिए ये सब , ये बताने के लिए देखो मैंने शराब पी रखी है ग़लत है।


मैंने एक एक पक्के शराबी से ये पूछा क्या वाकई में तना नशा हो जाता है ..तो उन्होंने कहा ये लोग { जो उनसे कमतर हैं } जितना पी के शोर करते हैं उतना मैं हमेशा पीये रहता हूँ पर मैं नहीं चीखता हूँ या गाली देता हूँ /


संभवता ये विचार अगर किसी पक्के शराबी को मिले तो मेरा सड़क पर चलना दूभर हो जाएगा क्योंकि सारे चरित्र आस पास के ही हैं और मैंने अपनी फोटो भी लगा रखी है


अगर मैं काका hathrasi बन jaoon तो नशा कुछ यूँ हतानूं



** नशा जरूरी है जिन्दगी के लिए ,पर सिर्फ़ शराब हा नहीं है बेखुदी के लिए /


किसी की मस्त नजरों में डूब जाओ , बड़ा हशीन समंदर है खुदखुशी के लिए // **

अब देखिये ....मैं इनको जनता नहीं हूँ पर शराब के नशे में इन्हे भाई साहब कह रहा हूँ / अब ये अच्छाई हुई न की ये मेरे भाई साहब बन गए हैं /
....... और बुरी बात ये है की अगर मैं चाहता तो इन्हे .......(गाली देकर ) मूंगफली क्यों खरीद रहे हो बे ...तो भी ये कुछ नहीं बोल सकते थे क्योंकि .....मैं नशे में हूँ ........
मैं डरा कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ पर अगले भाई साहब भी टुन्न थे सो मामला शांत ही रहा /
ये बातें जो मैंने लिखी हैं उससे मैं किसी को आहात नहीं करना चाहता हूँ पर अफ़सोस की बात ये है की ....क्या होगा अगर मेरे बाप मुझे पढने के लिए पैसा दें और मैं इस बुरी लत में फंश जाऊं ? क्या आजकल की युवा पीढी जो इस फैशन में रम रही है उसे इस बात का जरा सा भी अंदाजा है की दारू पी के प्रवचन देने से बेहतर है बिना दारू पीये कुछ करना .... कुछ अपने लिए ...समाज के लिए ...फ़िर कहें मैंने तो ये कर दिया तुम इससे आगे जाके दिखाओ

Monday, March 23, 2009

की एक पीने वाला क्या से क्या हो जाता है / एक समय में वह दानवीर कर्ण को भी अपनी बातों से पीछे करने को अग्रसर होता है तो दूसरी तरफ़ बाप को मत सिखा बोलकर भद्दी गाली देता है /

इस बात पर एक और बात याद आई की एक भाईसाहब ( पी चुके थे मैं प्रत्यक्ष दर्शी हूँ ) एक दूसरे व्यक्ति को कुछ ऐसे संबोधित करते हैं की , दारू एक अच्छी चीज है और एक बुरी चीज भी , है न भाईसाहब , अब चूंकि मेरी भी आदत या कहें ह्यूमन अप्रोच मैंने भी हवा कर दी , आख़िर दारू अच्छी और बुरी दोनों एक साथ सम्भव ही नहीं प्रूव करिए , तो लाजवाब कर देने वाली एक ओज्जस्वी वाणी निकली जो कुछ यूँ थी ........



http://myyaars.com/home.php
की प्यार बर्बादी से रोकता है , अगर दारू संग प्यार मिलने लगे तो दारू की पौ बारह हो जायेगी /

अब तो शराब के प्रचार में ऐसे उपकरण प्रयोग में लाये जाने लगे हैं की अकारण ही रिशिमुनियों के इस देश में ध्यान भंग होने का खतरा बना रहता है / पोस्टर में यदा कदा या सर्वत्र कहें '' i am in d mood of mischief '' लिखा मिल जाता है ,,

पढ़ चाहे न सकें पर पोस्टर में बहुत कुछ दिख जाता है .... /

अरिस्तोक्रेत , बैग ,कांतेसा ......जिन्गारू अंग्रेजी सब्दकोश kesabhi शराब के नाम में मिल जायेंगे ..ये सब शराब की ही तो महिमा है /

और तो और आप शराब की buraei भी कुछ दार्शनिक अंदाज़ में सुन सकेंगे ..जैसे मैं नहीं मानता शराब कोई बुरी वस्तु है पर हाँ आप बाप के पैसे से न पीयें ......... मेरे भाई साहब के दोस्त तो कुछ ऐसा ही कहते हैं सुनिए आप भी ...

देखो यार शराब पीना अच्छी बात नहीं है ये तो मैं ऐसे ही दोस्तों के संग शुरू कर दिया हूँ पर एक बात ध्यान में हमेशा रखना की जो मन में आए करना जरूर चाहिए / अगर आप अपने जीवन में कुछ करने जा रहे हो और आप को समझ में न आए की ये सही है या ग़लत तो अपने माता -पिता को सामने रखकर सोचो,, उसके बाद अगर तुम्हे लगता है की तुम ग़लत क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः तो उस काम को कभी मत करो पर यदि तुम्हे लगता है की नहीं इससे उन्हें कोई नुक्सान नहीं होगा तो उस काम को तुंरत कर जाओ /

इन बातों से स्पस्ट होता है की एक पीने वाला


kramshah

Tuesday, March 3, 2009

MAIN NASHEIN MEIN HOON

नशा शराब में होती तो नाचती बोतल ......./

हम पीते नहीं हम तो जिन्दगी को जीते हैं / अमा यार TRY तो करो एक बार से कुछ नहीं होता / अच्छा -अच्छा तुम थोड़ा कम ही पीना बाकि तो हम लोग हैं ही संभाल लेंगे / लाखों बहाने होते हैं पीने और पिलाने वालों के /

खुशी है तो सेलेब्रेशन में दुखी हैं तो गम में कोई न कोई बहाना तो मिल ही जाता है ऐसे सज्जनों को , ये तो choodiye बात शुरू करने का अंदाज ही निराला होता है /दूर की नहीं अपनी ही बात बताता हूँ साल भर हो गए दोस्त से मिले हुए लेकिन इस मनहूस जन्मदिवस पर फ़ोन आ गया / कहाँ हो भाई साहब एक्को फ़ोन -वोन तो कर लिया करिए जनाब ? हम भी दोस्त हैं आपके (ये बात अलग है अभी दो दिन पहले ही मैंने फ़ोन किया था , पर जाने कैसे भूल गया ) खैर आगे सुनिए - सुना है आपका जन्मदिन है कल / मन में तो आया गाली दूँ या फ़िर कहूं सुन लिए न बस ठीक है / पर जन्मदिन की खुशी में ऐसा कुछ मुंख से निकल नहीं पाता

अच्छा ये बताओ पार्टी -वार्टी दे रहे हो या नहीं ? मैंने पूछा अच्छा बता कैसी पार्टी चाहिए ? मैं समझ तो गया था की भाई साहब कोल्द्द्रिंक की मांग तो अवश्य करेंगे मेरा सोचना और उसका बोलना एक ही साथ हुआ /बोला यार कुछ खिला पिला दो /

बस हो गया बंटाधार जो माया बच रही थी उसकी माया तो देखिये एक ही पल में बिन माया हो जाने का स्वप्न दिखा गई /

और हाँ एक बात तो मैं भूल ही गया आज- कल तो पीने वालों के लिए ऐसे स्लोगन और गाने भी आने लगें हैं जो ये गर्व से गाते और सुनाते हैं जिसे -जब पीओगे कभी जैसे कहते हैं हम तो मिट जांयेंगे सारे दर्द और गम , जब छलकते हैं जाम लेके दिलबर का नाम तो रंगीन होती है हेर एक शाम ..........

अब देखियी पीने में भी एक कला होती है की आप खास ओकेजन पर किसे पियें / दिलबर जो एक शब्द गाने में है कुछ ज्यादा ही lojikal हो जाता दिलबर जो दिल का बार हो अर्थात मम्मी -पापा क्रमशः इजाजत मिले न मिले , ये शब्द तो मिल ही गया है

ये भी शराब की लत लगाने की बड़ी वजह बन सकती है कुछ लोगों को तो मैं जनता भी /

एक और सज्जन के विचार सुनिए ...thooda daru bich pyar मिला दे ......./अगर ये भाई साहब सही हैं तो मैं nishchit ही ग़लत हूँ
kramshah