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Monday, March 23, 2009

की एक पीने वाला क्या से क्या हो जाता है / एक समय में वह दानवीर कर्ण को भी अपनी बातों से पीछे करने को अग्रसर होता है तो दूसरी तरफ़ बाप को मत सिखा बोलकर भद्दी गाली देता है /

इस बात पर एक और बात याद आई की एक भाईसाहब ( पी चुके थे मैं प्रत्यक्ष दर्शी हूँ ) एक दूसरे व्यक्ति को कुछ ऐसे संबोधित करते हैं की , दारू एक अच्छी चीज है और एक बुरी चीज भी , है न भाईसाहब , अब चूंकि मेरी भी आदत या कहें ह्यूमन अप्रोच मैंने भी हवा कर दी , आख़िर दारू अच्छी और बुरी दोनों एक साथ सम्भव ही नहीं प्रूव करिए , तो लाजवाब कर देने वाली एक ओज्जस्वी वाणी निकली जो कुछ यूँ थी ........



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