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Thursday, May 24, 2012

थक गया हूँ गोद में लेकर सारे दर्द मिटा दे मेरे, माँ इस बार सुला दे मुझे

तेरे रोटियों की महक जहां भी रहूँ सताती है, हाथों से खुद फिर वो रोटियां खिला दे मुझे 

बरसातें सही तुने मेरे खातिर ठण्ड भी, लू के इन जलते थपेड़ों से बचा ले मुझे 

तुम हो समझती हो जो सब मेरे आंसूं न दिखे,तू आँचल में कुछ यूँ छिपा ले मुझे

गया मंदिर भी खुदा से पूछने गिरिज़ाघर गुरूद्वारे का पता सबने तेरा नाम लिया, माँ अपने चरणों से गंगा पिला दे मुझे

तू कहती थी कुछ और आँखें कहती थी तेरी, प्यार से डराने वाली आँखें फिर दिखा दे मुझे

थक गया हूँ गोद में लेकर सारे दर्द मिटा दे मेरे, माँ इस बार सुला दे मुझे____उमेश सिंह
खुद को भुलाया ख़ुदा को भी मुझमें जब तुम आये, इबादत की तरह मेरे सहर-शाम पर अब तुम छाए

जिक्र तक न करते हम अपनी मोहब्बत का, खुद तुमने ही कह दिया था जो हम कभी न कह पाए

यूँ ही सजा लेते हैं अरमान सज़ा देते हैं खुद को, तुमको दिल से पर हम कभी दफ़ा न कर पाए 

वफ़ाये नाम रहा हूँ ताउम्र रुसवाई मिली है, और देखो फिर तुम भी वफ़ा न कर पाए__उमेश सिंह