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Monday, July 25, 2011

MY LINES 4

जब से गुजरे हो तुम हमारे दिल की वीरान-तंग गलियों से इक आह छोड़ गए हो
 आ सकता हूँ जब भी तुम पुकारो पर तुम ही जाने क्यूँ, न आने की राह छोड़ गए हो 

आते हैं हर पल-दिन वो याद भी क्यूँ न आयें, तुम ऐसी ही दिल में एक सांस छोड़ गए हो

बता दो कब तक बिना तेरे यूँ रहूँगा नहीं पता,क्यूँ मरते हुए जीने की इक आस छोड़ गए हो...उमेश सिंह




Tuesday, July 12, 2011

my lines

मनाता है तुम्हे फिर रूठने को मजबूर करता है,प्यार तुम्हे बेहद ये दिल बेक़सूर करता है
क्या हुआ जो तुम नहीं समझते हमे न समझोगे, तुम्हे समझ कर ये दिल गरूर करता है
जानते है गुनाह करता है ये सच में, फिर भी हमे गुनाहगार बनने को मजबूर करता है
बूँद जो पानी से उठता है,गिरता है,गिरता है,फिर उसी आगोश में गिरने को दिल जरूर करता है
कुछ इसी तरह जुड़े हैं तुमसे हम,इसलिए मनाता है तुम्हे,रूठने को मजबूर करता है...उमेश सिंह