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Sunday, August 7, 2011

my lines


क़ाश मुझे भी आईना दिखाना आ जाये, तुम्हारी बेरुखी को तुमसे मिलाना आ जाये 
हम जो हैं जैसे हैं रूह तुम्हारी हो चुकी, फ़रियाद इतनी है मुझे भी नजरें चुराना आ जाये
ख़ुदा रहम करो मेरे यार पर, ग़र वो अपना कहता है तो उसे अपनापन जताना आ जाये
दोस्त कहते हैं मुझे-तुम्हे रिश्ता निभाना नहीं आता शायद सच है खामोश हूँ आकर देखो मेरी झुकी नम आँखों को क्या सच है-सच क्या नहीं शायद तुम्हे भी रिश्ता निभाना आ जाये____उमेश सिंह