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Tuesday, April 7, 2009


अब आगे की कहानी...


दारू पीने वाले लोग अपना तो सत्यानाश करते ही हैं साथ में आस पास के माहोल को भी गन्दा करते हैं / घर से पैसा लेते हैं पढ़के कुछ बनके तब मौज उड़ने की तर्ज़ पे ;;,,, चाहे बाप क्यों हो क़र्ज़ पे ,,,;;


पर करें भी क्या यहाँ आते ही मॉडल शॉप दिख जाती है इसमे बेचारून की गलती कहाँ दे दें // हर बाए संकल्प लेके उसको तोड़ने की आदती बन चली है युवा पीढी /


पीना जायज है या नहीं है मैं नहीं जानता पर दिखावे के लिए ये सब, पी के गाली देने के लिए ये सब , ये बताने के लिए देखो मैंने शराब पी रखी है ग़लत है।


मैंने एक एक पक्के शराबी से ये पूछा क्या वाकई में तना नशा हो जाता है ..तो उन्होंने कहा ये लोग { जो उनसे कमतर हैं } जितना पी के शोर करते हैं उतना मैं हमेशा पीये रहता हूँ पर मैं नहीं चीखता हूँ या गाली देता हूँ /


संभवता ये विचार अगर किसी पक्के शराबी को मिले तो मेरा सड़क पर चलना दूभर हो जाएगा क्योंकि सारे चरित्र आस पास के ही हैं और मैंने अपनी फोटो भी लगा रखी है


अगर मैं काका hathrasi बन jaoon तो नशा कुछ यूँ हतानूं



** नशा जरूरी है जिन्दगी के लिए ,पर सिर्फ़ शराब हा नहीं है बेखुदी के लिए /


किसी की मस्त नजरों में डूब जाओ , बड़ा हशीन समंदर है खुदखुशी के लिए // **

अब देखिये ....मैं इनको जनता नहीं हूँ पर शराब के नशे में इन्हे भाई साहब कह रहा हूँ / अब ये अच्छाई हुई न की ये मेरे भाई साहब बन गए हैं /
....... और बुरी बात ये है की अगर मैं चाहता तो इन्हे .......(गाली देकर ) मूंगफली क्यों खरीद रहे हो बे ...तो भी ये कुछ नहीं बोल सकते थे क्योंकि .....मैं नशे में हूँ ........
मैं डरा कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ पर अगले भाई साहब भी टुन्न थे सो मामला शांत ही रहा /
ये बातें जो मैंने लिखी हैं उससे मैं किसी को आहात नहीं करना चाहता हूँ पर अफ़सोस की बात ये है की ....क्या होगा अगर मेरे बाप मुझे पढने के लिए पैसा दें और मैं इस बुरी लत में फंश जाऊं ? क्या आजकल की युवा पीढी जो इस फैशन में रम रही है उसे इस बात का जरा सा भी अंदाजा है की दारू पी के प्रवचन देने से बेहतर है बिना दारू पीये कुछ करना .... कुछ अपने लिए ...समाज के लिए ...फ़िर कहें मैंने तो ये कर दिया तुम इससे आगे जाके दिखाओ