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Monday, March 23, 2009

की एक पीने वाला क्या से क्या हो जाता है / एक समय में वह दानवीर कर्ण को भी अपनी बातों से पीछे करने को अग्रसर होता है तो दूसरी तरफ़ बाप को मत सिखा बोलकर भद्दी गाली देता है /

इस बात पर एक और बात याद आई की एक भाईसाहब ( पी चुके थे मैं प्रत्यक्ष दर्शी हूँ ) एक दूसरे व्यक्ति को कुछ ऐसे संबोधित करते हैं की , दारू एक अच्छी चीज है और एक बुरी चीज भी , है न भाईसाहब , अब चूंकि मेरी भी आदत या कहें ह्यूमन अप्रोच मैंने भी हवा कर दी , आख़िर दारू अच्छी और बुरी दोनों एक साथ सम्भव ही नहीं प्रूव करिए , तो लाजवाब कर देने वाली एक ओज्जस्वी वाणी निकली जो कुछ यूँ थी ........



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की प्यार बर्बादी से रोकता है , अगर दारू संग प्यार मिलने लगे तो दारू की पौ बारह हो जायेगी /

अब तो शराब के प्रचार में ऐसे उपकरण प्रयोग में लाये जाने लगे हैं की अकारण ही रिशिमुनियों के इस देश में ध्यान भंग होने का खतरा बना रहता है / पोस्टर में यदा कदा या सर्वत्र कहें '' i am in d mood of mischief '' लिखा मिल जाता है ,,

पढ़ चाहे न सकें पर पोस्टर में बहुत कुछ दिख जाता है .... /

अरिस्तोक्रेत , बैग ,कांतेसा ......जिन्गारू अंग्रेजी सब्दकोश kesabhi शराब के नाम में मिल जायेंगे ..ये सब शराब की ही तो महिमा है /

और तो और आप शराब की buraei भी कुछ दार्शनिक अंदाज़ में सुन सकेंगे ..जैसे मैं नहीं मानता शराब कोई बुरी वस्तु है पर हाँ आप बाप के पैसे से न पीयें ......... मेरे भाई साहब के दोस्त तो कुछ ऐसा ही कहते हैं सुनिए आप भी ...

देखो यार शराब पीना अच्छी बात नहीं है ये तो मैं ऐसे ही दोस्तों के संग शुरू कर दिया हूँ पर एक बात ध्यान में हमेशा रखना की जो मन में आए करना जरूर चाहिए / अगर आप अपने जीवन में कुछ करने जा रहे हो और आप को समझ में न आए की ये सही है या ग़लत तो अपने माता -पिता को सामने रखकर सोचो,, उसके बाद अगर तुम्हे लगता है की तुम ग़लत क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः क्रमशः तो उस काम को कभी मत करो पर यदि तुम्हे लगता है की नहीं इससे उन्हें कोई नुक्सान नहीं होगा तो उस काम को तुंरत कर जाओ /

इन बातों से स्पस्ट होता है की एक पीने वाला


kramshah

Tuesday, March 3, 2009

MAIN NASHEIN MEIN HOON

नशा शराब में होती तो नाचती बोतल ......./

हम पीते नहीं हम तो जिन्दगी को जीते हैं / अमा यार TRY तो करो एक बार से कुछ नहीं होता / अच्छा -अच्छा तुम थोड़ा कम ही पीना बाकि तो हम लोग हैं ही संभाल लेंगे / लाखों बहाने होते हैं पीने और पिलाने वालों के /

खुशी है तो सेलेब्रेशन में दुखी हैं तो गम में कोई न कोई बहाना तो मिल ही जाता है ऐसे सज्जनों को , ये तो choodiye बात शुरू करने का अंदाज ही निराला होता है /दूर की नहीं अपनी ही बात बताता हूँ साल भर हो गए दोस्त से मिले हुए लेकिन इस मनहूस जन्मदिवस पर फ़ोन आ गया / कहाँ हो भाई साहब एक्को फ़ोन -वोन तो कर लिया करिए जनाब ? हम भी दोस्त हैं आपके (ये बात अलग है अभी दो दिन पहले ही मैंने फ़ोन किया था , पर जाने कैसे भूल गया ) खैर आगे सुनिए - सुना है आपका जन्मदिन है कल / मन में तो आया गाली दूँ या फ़िर कहूं सुन लिए न बस ठीक है / पर जन्मदिन की खुशी में ऐसा कुछ मुंख से निकल नहीं पाता

अच्छा ये बताओ पार्टी -वार्टी दे रहे हो या नहीं ? मैंने पूछा अच्छा बता कैसी पार्टी चाहिए ? मैं समझ तो गया था की भाई साहब कोल्द्द्रिंक की मांग तो अवश्य करेंगे मेरा सोचना और उसका बोलना एक ही साथ हुआ /बोला यार कुछ खिला पिला दो /

बस हो गया बंटाधार जो माया बच रही थी उसकी माया तो देखिये एक ही पल में बिन माया हो जाने का स्वप्न दिखा गई /

और हाँ एक बात तो मैं भूल ही गया आज- कल तो पीने वालों के लिए ऐसे स्लोगन और गाने भी आने लगें हैं जो ये गर्व से गाते और सुनाते हैं जिसे -जब पीओगे कभी जैसे कहते हैं हम तो मिट जांयेंगे सारे दर्द और गम , जब छलकते हैं जाम लेके दिलबर का नाम तो रंगीन होती है हेर एक शाम ..........

अब देखियी पीने में भी एक कला होती है की आप खास ओकेजन पर किसे पियें / दिलबर जो एक शब्द गाने में है कुछ ज्यादा ही lojikal हो जाता दिलबर जो दिल का बार हो अर्थात मम्मी -पापा क्रमशः इजाजत मिले न मिले , ये शब्द तो मिल ही गया है

ये भी शराब की लत लगाने की बड़ी वजह बन सकती है कुछ लोगों को तो मैं जनता भी /

एक और सज्जन के विचार सुनिए ...thooda daru bich pyar मिला दे ......./अगर ये भाई साहब सही हैं तो मैं nishchit ही ग़लत हूँ
kramshah