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Tuesday, April 5, 2016

शून्य सच है आखिरी

आइना पारदर्शी होके आस्तित्व को नकार दे
शून्य सच है आखिरी निराकार को आकार दे
साध दुनिया में बस एक होनी चाहिए
कुत्सित न हो इरादतन भावना बस नेक होनी चाहिए
अहंकार में जीने की सम्भावना को नकार दो
आस्तित्व जो बचा सके बस उतने को आकार दो
अग्रगामी हो प्रवित्ति पथ पे दृष्टि होनी चाहिए
भयावरण से हो पृथक हर नस भिगोनी चाहिए
मेघ वर्षा प्रकीर्ति भांति सबको इक सत्कार दो
वसुधैव कुटुंबकम का एक ही व्यवहार दो
सत्य चोला वाणी कोमल मन उमंग लिबास होनी चाहिए
स्वउत्थान मकसद देश मस्तक सुनोमेश ये अरदास होनी चाहिए
सुभित शोभित आचरण को निलय सा प्रसार दो
कामना ऐसी करो और खुद को ये विस्तार दो
उमेश सिंह


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