सम्मान है वतन तेरा इस दिल में
क्या करें है जो तेरी आबरू मुश्किल में ?
हर दफ़े यूँ लुटती इज्ज़त बेटियों की
क्यूँ खड़ी है नंगे इस बाज़ार की महफ़िल में ?
पुरुषार्थ का प्रदर्शन यूँ नहीं होता है सुनलो
किस तरफ हो तुम ये चुनलो वक़्त की दरकार सुनलो
बेटी तेरी बेबस पूछती है आज सबसे
थी 'मैं' कल को तेरी आबरू भी न आ पड़े मुश्किल में
उमेश सिंह
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