तुक्केदार तीर पर गर अर्जुन करता विश्वास
भेद न पाता आँख वो न जीत की होती आस
गुरु भी लज्जित होते उसके न होती परीक्षा पास
करलो तुम भी अपने मन में अटल लक्ष्य का वास
निशान गर धुंधला जाये फिर करलो तरकश साफ़
जीतोगे हरपल तुम ही बन अर्जुन हर जीत भी होगी खाश____उमेश सिंह
भेद न पाता आँख वो न जीत की होती आस
गुरु भी लज्जित होते उसके न होती परीक्षा पास
करलो तुम भी अपने मन में अटल लक्ष्य का वास
निशान गर धुंधला जाये फिर करलो तरकश साफ़
जीतोगे हरपल तुम ही बन अर्जुन हर जीत भी होगी खाश____उमेश सिंह
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