अम्मा गयीं चना भुनावे, घर म़ा पतोहू कै अबहीं न साख है, दामाद सबकै लूटत हैं ससुराल हमरै पै काहे सब चिल्लात हैं
दू-तीन कै चार किहिन ताऊ केकरे घर से जात है, आगेव करिहें करत रहिहें पूर्वजन कै आत्मा चिल्लात है
एक्के बारी लुटबो सभे एक्के बार म़ा का होई जात है, कछु और धरे हौ जेबा मा वोहके कौन हिसाब है
अम्मा गयीं चना भुनावे पतोहू कै न हियाँ बिसात है, अइहें तब देखा जाई अम्मा का चिंता आज है
एतना जानो गनीमत है तबहीं केजरी चिल्लात हैं, लूटेव अब कुछ धरम देखो पिछेव नंबर लाग है
सबकै लाठी ताऊ सबकै भैंस कहावत मा कौनो आग है, इ कहावत सही न होई खुर्शीद कै अबहीं राज है
अम्मा गयीं चना भुनावे पतोहू कै न हियाँ बिसात है, अइहें तब देखा जाई अम्मा का चिंता आज है
अंग्रेजन कै गुलाम रहा हैं जैसे और दिन रहै मा का जात है, खटिया भैया पाकर लिहें जब केहू हियाँ अंगरात है
डंडा-वंडा न परिहे एहिजा अतिथि पूजा जात हैं, मौन रहौ या तेज दहाड़ो खिचड़ी न पकिहे हियाँ बहुत रात है
अम्मा गयीं चना भुनावे पतोहू कै न हियाँ बिसात है, अइहें तब देखा जाई अम्मा का चिंता आज है
काहे उमेश गोंडावी बैठो चुप्पे या खटिया तूरो, कुछ न हुआ न कुछ होई हियाँ बस अब हिजरन कै राज है
क़ेहकै-क़ेहकै नाम लिखा है के-के पाक साफ़ है, ताऊ पता न चलिहे जल्दी हियाँ अदालतौ मा पट्टी लाग है
अम्मा गयीं चना भुनावे पतोहू कै न हियाँ बिसात है, अइहें तब देखा जाई अम्मा का चिंता आज है____उमेश सिंह