हमारे अहम् को बस हमारा रहने दो टूटे थे जो कभी, उस टूटने को सहारा रहने दो
कितनी दफ़े लौट आओगे तुम गए थे जिस किनारे, दरमियाँ वो किनारा रहने दो
कहना वो मेरा बेपरवाही से जिंदा हूँ जिन्दादिली से, जिन्दगी में बची बहारा रहने दो
ज़ज्ब कर लूँगा हर ज़ज्बात दफ़न होने को बुनियाद तक, न हारा हूँ ना-हारा रहने दो
उमेश सिंह
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कितनी दफ़े लौट आओगे तुम गए थे जिस किनारे, दरमियाँ वो किनारा रहने दो
कहना वो मेरा बेपरवाही से जिंदा हूँ जिन्दादिली से, जिन्दगी में बची बहारा रहने दो
ज़ज्ब कर लूँगा हर ज़ज्बात दफ़न होने को बुनियाद तक, न हारा हूँ ना-हारा रहने दो
उमेश सिंह
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Great....��������
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