वो बटुए में परिवार से मुलाकात करे
थोड़ा सा हंस दे और फिर सवालात करे
पूछे की माँ कैसी है तू खुश रहना की जैसी है तू
दिया तूने मुझको वतन के लिए कोई पूछे बताना की ऐसी है तू
फिर नजर से वो बचपन को है देखता
उसका बच्चा उसी की तरह रेंगता
छूता उसको के सच में उसे चूम ले ]
लेके बाँहों में उसको जहां झूम ले
देखके बहना को वो हंसा जोर से
लड़ती मुझसे जो होती यहां भोर से
अपनी पत्नी से आँखें चुरा के वो बोला
आऊंगा मिलने तुझसे ले हार सौ तोला
उसी बगल में पिताजी खड़े लगे ऐसे जैसे की पर्वत बड़े
बिन कहे कुछ वो बोले, न लौटे दुश्मन जो तेरी नजर में चढ़े
भाई के भी पिता से ही जज्बात थे
पिछली हर बातों में देश सेवा के ही बात थे
सोचके बातें उनकी वो कठोर हो गया
देश पहले है सबसे वो भावा विभोर हो गया
बंद करके बटुए को वो खड़ा हो गया
कुछ इस तरह खुदा से बड़ा हो गया
थामा बन्दूक उसने बाजुओं की जोर से
बाँधी सांसें फिर अपनी वतन की डोर से
दिल को रोका न उसने धड़कने दिया
यूँ लहू को नसों में फड़कने दिया
आँखें उसकी बड़ी रक्तलाल हो गयीं
दुश्मनों के लिए महाकाल हो गयीं
थर्राया हिमालय उसकी ललकार से
हुए महादेव भी चकित इस हुंकार से
बोले के सती ये तो संहार है
ये तो भारत के सैनिक की ललकार है
खैर उनकी न है जो वहां बैर हैं
उस धरा पे हर सैनिक महादेव है
इतने में दुश्मनों के वो बीच आ गया
सौ भेड़ियों पर अकेला वो शेर छा गया
हर हर महादेव की ध्वनि थी जाग उठी
एक-एक की रूह उनका साथ छोड़ भाग उठी
फिर किसी ने पीठ में चुपके से घात किया
गिरते ही वो उठ खड़ा हो उठते ही आघात किया
मृत्यु दान सबको कर वो तिरंगे को फहरा उठा
धुंधली तस्वीर आते देख वो शस्त्र फिर लहरा उठा
देखकर के अपने सैनिक वो सकूँ में खो गया
मातृभूमि की सेवा को वो माँ के गोद में सो गया
उमेश सिंह
नए वर्ष पर सभी सैनिकों को समर्पित एवं सभी शहीदों को श्रद्धांजलि
थोड़ा सा हंस दे और फिर सवालात करे
पूछे की माँ कैसी है तू खुश रहना की जैसी है तू
दिया तूने मुझको वतन के लिए कोई पूछे बताना की ऐसी है तू
फिर नजर से वो बचपन को है देखता
उसका बच्चा उसी की तरह रेंगता
छूता उसको के सच में उसे चूम ले ]
लेके बाँहों में उसको जहां झूम ले
देखके बहना को वो हंसा जोर से
लड़ती मुझसे जो होती यहां भोर से
अपनी पत्नी से आँखें चुरा के वो बोला
आऊंगा मिलने तुझसे ले हार सौ तोला
उसी बगल में पिताजी खड़े लगे ऐसे जैसे की पर्वत बड़े
बिन कहे कुछ वो बोले, न लौटे दुश्मन जो तेरी नजर में चढ़े
भाई के भी पिता से ही जज्बात थे
पिछली हर बातों में देश सेवा के ही बात थे
सोचके बातें उनकी वो कठोर हो गया
देश पहले है सबसे वो भावा विभोर हो गया
बंद करके बटुए को वो खड़ा हो गया
कुछ इस तरह खुदा से बड़ा हो गया
थामा बन्दूक उसने बाजुओं की जोर से
बाँधी सांसें फिर अपनी वतन की डोर से
दिल को रोका न उसने धड़कने दिया
यूँ लहू को नसों में फड़कने दिया
आँखें उसकी बड़ी रक्तलाल हो गयीं
दुश्मनों के लिए महाकाल हो गयीं
थर्राया हिमालय उसकी ललकार से
हुए महादेव भी चकित इस हुंकार से
बोले के सती ये तो संहार है
ये तो भारत के सैनिक की ललकार है
खैर उनकी न है जो वहां बैर हैं
उस धरा पे हर सैनिक महादेव है
इतने में दुश्मनों के वो बीच आ गया
सौ भेड़ियों पर अकेला वो शेर छा गया
हर हर महादेव की ध्वनि थी जाग उठी
एक-एक की रूह उनका साथ छोड़ भाग उठी
फिर किसी ने पीठ में चुपके से घात किया
गिरते ही वो उठ खड़ा हो उठते ही आघात किया
मृत्यु दान सबको कर वो तिरंगे को फहरा उठा
धुंधली तस्वीर आते देख वो शस्त्र फिर लहरा उठा
देखकर के अपने सैनिक वो सकूँ में खो गया
मातृभूमि की सेवा को वो माँ के गोद में सो गया
उमेश सिंह
नए वर्ष पर सभी सैनिकों को समर्पित एवं सभी शहीदों को श्रद्धांजलि