अब देखिये ....मैं इनको जनता नहीं हूँ पर शराब के नशे में इन्हे भाई साहब कह रहा हूँ / अब ये अच्छाई हुई न की ये मेरे भाई साहब बन गए हैं /
....... और बुरी बात ये है की अगर मैं चाहता तो इन्हे .......(गाली देकर ) मूंगफली क्यों खरीद रहे हो बे ...तो भी ये कुछ नहीं बोल सकते थे क्योंकि .....मैं नशे में हूँ ........
मैं डरा कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ पर अगले भाई साहब भी टुन्न थे सो मामला शांत ही रहा /
ये बातें जो मैंने लिखी हैं उससे मैं किसी को आहात नहीं करना चाहता हूँ पर अफ़सोस की बात ये है की ....क्या होगा अगर मेरे बाप मुझे पढने के लिए पैसा दें और मैं इस बुरी लत में फंश जाऊं ? क्या आजकल की युवा पीढी जो इस फैशन में रम रही है उसे इस बात का जरा सा भी अंदाजा है की दारू पी के प्रवचन देने से बेहतर है बिना दारू पीये कुछ करना .... कुछ अपने लिए ...समाज के लिए ...फ़िर कहें मैंने तो ये कर दिया तुम इससे आगे जाके दिखाओ
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