थक गया हूँ गोद में लेकर सारे दर्द मिटा दे मेरे, माँ इस बार सुला दे मुझे
तेरे रोटियों की महक जहां भी रहूँ सताती है, हाथों से खुद फिर वो रोटियां खिला दे मुझे
बरसातें सही तुने मेरे खातिर ठण्ड भी, लू के इन जलते थपेड़ों से बचा ले मुझे
तुम हो समझती हो जो सब मेरे आंसूं न दिखे,तू आँचल में कुछ यूँ छिपा ले मुझे
गया मंदिर भी खुदा से पूछने गिरिज़ाघर गुरूद्वारे का पता सबने तेरा नाम लिया, माँ अपने चरणों से गंगा पिला दे मुझे
तू कहती थी कुछ और आँखें कहती थी तेरी, प्यार से डराने वाली आँखें फिर दिखा दे मुझे
थक गया हूँ गोद में लेकर सारे दर्द मिटा दे मेरे, माँ इस बार सुला दे मुझे____उमेश सिंह
तेरे रोटियों की महक जहां भी रहूँ सताती है, हाथों से खुद फिर वो रोटियां खिला दे मुझे
बरसातें सही तुने मेरे खातिर ठण्ड भी, लू के इन जलते थपेड़ों से बचा ले मुझे
तुम हो समझती हो जो सब मेरे आंसूं न दिखे,तू आँचल में कुछ यूँ छिपा ले मुझे
गया मंदिर भी खुदा से पूछने गिरिज़ाघर गुरूद्वारे का पता सबने तेरा नाम लिया, माँ अपने चरणों से गंगा पिला दे मुझे
तू कहती थी कुछ और आँखें कहती थी तेरी, प्यार से डराने वाली आँखें फिर दिखा दे मुझे
थक गया हूँ गोद में लेकर सारे दर्द मिटा दे मेरे, माँ इस बार सुला दे मुझे____उमेश सिंह