जब से गुजरे हो तुम हमारे दिल की वीरान-तंग गलियों से इक आह छोड़ गए हो
आ सकता हूँ जब भी तुम पुकारो पर तुम ही जाने क्यूँ, न आने की राह छोड़ गए हो
आते हैं हर पल-दिन वो याद भी क्यूँ न आयें, तुम ऐसी ही दिल में एक सांस छोड़ गए हो
बता दो कब तक बिना तेरे यूँ रहूँगा नहीं पता,क्यूँ मरते हुए जीने की इक आस छोड़ गए हो...उमेश सिंह
आ सकता हूँ जब भी तुम पुकारो पर तुम ही जाने क्यूँ, न आने की राह छोड़ गए हो
आते हैं हर पल-दिन वो याद भी क्यूँ न आयें, तुम ऐसी ही दिल में एक सांस छोड़ गए हो
बता दो कब तक बिना तेरे यूँ रहूँगा नहीं पता,क्यूँ मरते हुए जीने की इक आस छोड़ गए हो...उमेश सिंह