क्यूँ बैठे हो तुम दिल में बेजुबान बनके, अपनी यादों में हमको फ़ना करके
रहते हो हर पल पास खूबसूरत एहसास की तरह, क्यूँ रहते हो आँखों में आँखों को मेरी जगा करके
शिकायत करते हैं वो पल जब तुम्हे नहीं याद किया, क्या मिलता है तुम्हे मेरे वो पल तबाह करके
जागो अपनी आँखें खोलो और कुछ तो बोलो, मिलोगे मुझसे क्या कभी नजरें फिरसे चुरा करके
मत पूछ ऐ कातिल,क्यूँ फ़रियाद करते हैं हम,क्यूँ तुम पर फ़ना हुए
आँखों को अपना आईना दिखाना, ग़र जवाब माँगना हो...उमेश सिंह
रहते हो हर पल पास खूबसूरत एहसास की तरह, क्यूँ रहते हो आँखों में आँखों को मेरी जगा करके
शिकायत करते हैं वो पल जब तुम्हे नहीं याद किया, क्या मिलता है तुम्हे मेरे वो पल तबाह करके
जागो अपनी आँखें खोलो और कुछ तो बोलो, मिलोगे मुझसे क्या कभी नजरें फिरसे चुरा करके
मत पूछ ऐ कातिल,क्यूँ फ़रियाद करते हैं हम,क्यूँ तुम पर फ़ना हुए
आँखों को अपना आईना दिखाना, ग़र जवाब माँगना हो...उमेश सिंह