"जब भी आप आरक्षित होते हो तो ये भी समझ लो की दुनिया ने आप को एक सबक सीखने से वंचित कर दिया है ...अगर आप में वो सामर्थ्य है जो आप को विशेष बनता है तो फिर आरक्षण क्यों ? अगर एक के पैर में जंजीर बांध कर उसे आरक्षित रेस में दौड़ाया जाये तो प्रतिस्पर्धा कहाँ बची साहब फिनिशिंग लाइन के पहले ही उसे रोकने का जब पूरा प्रबंध करके आप रेस करा रहे हैं तो फिक्स मैच हुआ न .....अगर आप में हिम्मत है, जीतने का जज्बा है तो फिर खुले मैदान में आने से क्यों घबराते हो आप ? आज के इस प्रतिस्पर्धी समाज में जीने के लिए लड़ना जरूरी हो चला है पर यहाँ तो जरूरतों को ही आरक्षित किया जा रहा है" इस तरह न समाज की उन्नति होगी न ही यहाँ के लोगों की
अंत में बस इतना ही कहना है आरक्षण दे दो मेरे ब्लॉग को
Tuesday, March 16, 2010
Monday, March 8, 2010
विरोध करना है...
लोकसभा हो या विधानसभा हम तो तब तक यूँ ही विरोध करेंगे जब तक हम सत्ता में न आ जाएं मुद्दा चाहे जो भी हो बस विरोध करना है / पब्लिक को हम ही लूटेंगे तुम कैसे लूट सकते हो अमा यार समझने की भी हद होती है / जो हमारी भावनाओं को न समझे उसका तो बेड़ा पार है समझ लो भैया हमें जनता ने नहीं भेजा तो क्या हुआ हम फिर भी उनके प्रतिनिधि ही हैं / हह ऐसे विचारों से परे भी कोई नेता काम करता है ये मुझे आज तक नहीं दिखाई दिया हाँ अगर अपने राहुल गाँधी की बात हो तो थोड़ा मान लेते हैं पर उसमे भी शक है अपने मान्य नेताओं को ...... इन नेताओं की विचारधारा यूँ है की हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे या फिर कहें की न कुछ करेंगे न ही कुछ करने देंगे तुम बैठ के हमे देखो हम तो लूटने का उपाय ही देखते हैं / आज की खबर में सबसे ऊपर ही लोगों को मिलेगा की हमारे नेता कैसे हमारी आपकी बात विधानसभा या लोकसभा में रखते हैं / बिल फाड़ कर या संसद की मर्यादा का अपमान करके या फिर सिर्फ टेलीविज़न पर हमे और आपको ये दिखाने के लिए की हम ही आपके वो नेता हैं जो आप के लिए इतना कुछ कर रहे हैं और फंला - फंला हमारी पार्टी है/
अगले सत्र में भारी मतों से हमे ही जितायें.....
अब तक इन्होने लुटा अब अपना धन हमे लुट्वाएं.....
वह क्या विचार हैं काम धेले का नहीं करेंगे बस विरोध करेंगे सिर्फ विरोध करेंगे वो भी इतने निम्न स्तर से की आप भी सोच सको की क्या हो गया है इन बागड़बिल्लों को कैसे लड़ रहे हैं पूरे विश्व के सामने ये हमारे नेता नहीं हो सकते/ आखिर ये हमारे नेता क्यों बने भाई ? क्या इनमे से एक भी ऐसे हैं जो संयमित जवाब दे सकने में सक्षम हैं / दो तीन का नाम याद आने के बाद मुझे तो नहीं याद आता है आप भी सोचिये जो आप की बात को समझते हो भैया नहीं तो गला फाड़ के चिल्लाओगे और धेला नहीं पाओगे ................
ये मेरे विरोध करने का तरीका है आप भी विरोध करें कैसे भी क्योंकि विरोध करना है ............................
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